Hindi Sahitya: मनोवैज्ञानिक आलोचना (Psychological Criticism) का वर्णन करें।

 

 

 

यह आलोचना बहुत कुछ व्यारयात्मक आलोचना से मिलती जुलती है। इसके अन्तर्गत आलोचक कवि या कलाकार के मन का अध्ययन करता है और काव्य के मूल में स्थित भावों और प्रेरणाओं का विश्लेषण करना इसका प्रमुख उद्देश्य है।


 इसमें बाहरी परिस्थिति का जो प्रभाव आन्तरिक भावनाओं पर पड़ता है, उसका विशेष अध्ययन किया जाता है।


 कवि की रचनाओं को वैयक्तिक स्वभाव, उसकी आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक स्थितियों से उत्पन्न मनः स्थिति के प्रकाश में देखना और निष्कर्ष निकालना इस प्रकार की आलोचना का उद्देश्य रहता है। 


हिन्दी आलोचना में आजकल मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषणात्मक प्रवृत्ति भी दिखाई देती है। 


व्याख्यात्मक आलोचना से इसका अन्तर यही है कि व्याख्यात्मक में प्रधानतया कृतित्व का विश्लेषण रहता, है और मनोवैज्ञानिक आलोचना में कवि को रुचि, परिस्थिति और अन्तर्वृत्तियों का विश्लेषण किया जाता है.

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