बदलते मौसम में कपास की खेती को सुरक्षित कैसे रखें? चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने जारी किये सुझाव

 

 


वर्तमान में लगातार मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है की मौसम को देखते हुए ही स्प्रे व और अन्य क्रियाएं करेंतथा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नीचे बताई गई सिफारिशों का अनुसरण करें। 16 से 30 जून 2025 तक कपास की खेती के लिए सुझाव जारी किये हैं .

 

 

सस्य क्रियाएँ

 

किसान भाई कपास की एक खोदी कसोले से या ट्रैक्टर की सहायता से अवश्य करें।

 

 कपास में खुला पानी 45 से 50 दिन बाद ही लगाएं। रेतीली मिट्टी में भी फव्वारा विधि से 4 से 5 दिन में ही पानी लगाएं। रोज फव्वारे ना चलाएं। टपका विधि के द्वारा भी पानी 3-4 दिन में ही लगाएं। सिंचाई के बाद खोदी अवश्य करें।

 

 धूल भरी आंधी के बाद जहां नरमा के पत्ते मुरझाए या जले हुए लग रहे हो वहां किसान भाई ड्रिप या फवारा विधि से पानी लगाएं।

 

उर्वरक

 

 अच्छी बरसात के बाद ही यूरिया का एक बैग प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। अगर बिजाई के समय आपने कुछ नहीं डाला है तो एक बैग यूरिया की जगह डी ए पी की बिजाई करें।

 

 अगर किसान भाइयों ने बिजाई के समय डी. ए. पी. नहीं डाला है तो अब अच्छी बरसात के बाद एन पी के का प्रयोग कर सकते हैं जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा हो।

 

 जहां ड्रिप द्वारा सिंचाई की सुविधा है वहां पर घुलनशील उर्वरक तीन पैकेट प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग कर सकते हैं।

 

कीट प्रबंधन

 

 इस माह से देशी कपास में चित्तीदार सुंडी का प्रकोप होता हैं जिसमें बढ़ती शाखा का मुरझा जानाबोक्की या डोडी का गिरना या पँखडिनुमा बोक्की का बननाइत्यादि लक्षण शामिल हैं। इसके नियंत्रण के लिए 100-125 मिलीलीटर फेनवेलरेट 20: ई सी प्रति एकड की दर से स्प्रे करें ।

 

 जिन किसान भाइयों की नरमा की फसल के आसपास पिछले साल की नरमा की बनछटियों रखी हुई है या उनके खेतों के आसपास कपास की जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मिल लगती हैंउन किसानों को अपने खेतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैक्योंकि इन खेतों में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप अधिक होता है।

 

 गुलाबी सुण्डी अधखिले टिंडों में नरमे के दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भंडारित लकड़ियों में निवास करती हैइसलिए बनछटियों का प्रबंधन नरमा की फसल में बौकी डोडी निकलने से पहले ही करें। नरमा की बनछटियों से टिंडे एवं पत्तें झाड़कर नष्ट कर दें।

 

 फसल की शुरुआती अवस्था में गुलाबी सुण्डी से प्रभावित नीचे गिरे बौकी/ डोडी व पौधों पर लगे रोजेटी फूल (गुलाबनुमा फूल) आदि को एकत्रित कर नष्ट करें।

 

 गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी अपने खेतों में लगी फसल के 40 से 45 दिनों की

 

 

 

 

फसल में बौकी डोडी आ गयी हैं तो कीटनाशक के छिड़काव की आवश्यकता है। इसके लिए पहला छिड़काव नीन आधारित कीटनाशक की 5 मि.ली. नात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से करें।

 

 कपास की फसल 60 दिनों के होने के बाद तचा गुलाबी सुंडी का प्रकोप फलीय भागों पर 5 से 10 प्रतिशता होने पर दूसरा छिड़काव प्रोफेनोफोस 50 ई सी की 3 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से करें

 

 कपास  की शुरुआती अवस्था में ज्यादा जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग ना करें। ऐसा करने से मित्र कीटों की संख्या कम हो जाती है तथा रस चूसने वाले कीड़ों की समस्या बढ़ने लगती है।

 

 जून माह में कपास की फसल में थिर्प्स- चुरडा का प्रकोप शुरू हो जाता है। 60 दिनों से कम अवधि की फसल में थ्रिप्स सख्या यदि 30 थ्रिप्स प्रति 3 पत्ता मिले तो नीम आधारित कीटनाशक का प्रयोग करें तथा इसके बाद रासायनिक कीटनाशक अगर गुलाबी सुंडी के लिए प्रयोग किया गया हो तो थ्रिप्स की संख्या में भी कमी आती हैं।

 

रोग प्रबंधन

 

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 जड गलन रोग से प्रभावित पौधों के आसपास के स्वस्थ पौधों में कार्वेडाजिम (2 ग्राम प्रति लीटर का घोल) बनाकर 400 से 500 मिलीलीटर जड़ों में डालें।

 

 बीमारी से सूखे हुए पौधों को उखाड़ दें ताकि बीमारी को आगे बढ़ने से रोका जा सके।

 

 फसल की लगातार निगरानी रखनी चाहिए व फ्ती मरोड़ रोग से ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर दबा देना चाहिए।

 

 हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग द्वारा समय समय पर जारी मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही कीटनाशकों एवं फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।

अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित नंबरों पर संपर्क करें

 

8002108138 7015106838 9812700110 0418530000 0041128105 9962911570 9466812467 8001047834

 

कपास अनुभागआनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग अनुसंधान निदेशालयचौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालयहिसार

 

 

 


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