साहित्य शास्त्र : भारतीय काव्यशास्त्र की परिभाषा एवं उसके लक्षणों का वर्णन करें ।

    


Hindi Sahitya :   काव्य  अत्यन्त व्यापक और सूक्ष्म धारणा है। उसको परिभाषा में बाँधना अत्यन्त कठिन कार्य है। आदिकाल से आज तक काव्य के स्वरूप और परिभाषा देने के लिए, उसके लक्षणों का निर्माण करने के लिए काव्य-मनीषियों ने बहुत प्रयत्न किये, किन्तु सभी प्रयास अधूरे सिद्ध हुए हैं। 


एक युग की स्वीकृत परिभाषा अगले युग के मानदण्डों पर पूरी नहीं उतरी और उसमें परिवर्तन कर दिया गया। वह तो नित्य नया रूप धारण करने वाला आकार है जिसकी क्षण-क्षण बदलती छवि को निश्चित आधारों की कसौटी पर व्यक्त नहीं किया जा सकता। विभिन्न प्रकार की परिभाषाओं के होते हुए भी काव्य के सन्पूर्ण अंग किसी एक परिभाषा में सिमटे नहीं दिखाई देते। 



यह एक विकासशील। प्रक्रिया है जो परिभाषाओं के घेरे को तोड़ती ही रहती है। यह विश्व-मानवता की सम्पत्ति है। शिक्षित, सभ्य और सुगंस्कृत व्यक्ति हो इसे अपनी धरोहर नहीं कह सकते। काव्य तो निरक्षर, अशिक्षित और अविकसित लोगों के जीवन का भी एक अंग बना रहता है। निरक्षर लोगों के कण्ठों से भी काव्य की धारा फूट पड़ती है और असभ्य जातियाँ भी अपने जीवन-विधायक काव्य पर गर्व करती देखी गई है।


सत्य तो यह है कि मानव के सहज हृदय में हो काव्य का सूजन होता है। ज्यों-ज्यों शिक्षा, सभ्यता के आवरण मनुष्य को कृत्रिम जीवन की ओर धकेल रहे हैं, त्यों-त्यों काव्य का क्षेत्र कम होता जा रहा है, इसलिए इस जटिल बौद्धिक युग में बड़े-बड़े महाकाव्यों की रचना नहीं हो पा रही, जो जीवन को गति दे सके, जीवन को धारा को सही दिशा में मौड़ सके।



 काव्य से तृप्ति पाने की लालसा और अनुभूतियों को जगाने की अपेक्षाएँ आज कुंठित होती जा रही है। फिर भी जीवन को सरस सुन्दर बनाने के लिए हमें काव्य को आवश्यकता है। काव्य मानव जीवन को आशा और सफलता की ओर ले जाने वाली अमोध शक्ति है।


 काव्य ही शाश्वत मानव मूल्यों की समाज और व्यक्ति में प्रतिष्ठा करता है। वही मनुष्य के सद्-असद् संस्कारों का निर्माण करता है। व्यक्ति के सुख-दुख को अनुभूति का विस्तार करके उन्हें सामाजिक स्पर्श देने का काम भी काव्य करता है। काव्य हो मरणशील व्यक्तियों को अमर बनाता है वही निराकार वस्तुओं, भावों और विचारों को साकार करता है। 


शास्त्र और विज्ञान मनुष्य को जीवन सार तत्व देते हैं किन्तु काव्य जीवन को यथार्थ रूप प्रदान करता है. उसकी रचना करता है। काव्य बाह्य जगत के साथ-साथ हमारे अन्तर्गत का भो चित्रण करता है। वह सदैव जीवन में नई-नई प्रेरणाएँ जगाता है।

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