हरियाणा के सिरसा जिले में एक चमत्कारी और अनोखी घटना ने सभी को हैरत में डाल दिया है। जिले के टीटू खेड़ा गांव की 24 वर्षीय रज्जो ने एक साथ चार बच्चों को जन्म दिया है, जिनमें दो बेटे और दो बेटियां शामिल हैं। यह उनकी पहली डिलीवरी थी, और अब मां और चारों बच्चे स्वस्थ हैं। रज्जो की शादी ठीक एक साल पहले 2024 में ऐलनाबाद के केशुपुरा गांव के सोनू से हुई थी। जैसे ही यह खबर गांव और अस्पताल में फैली, पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई।
अल्ट्रासाउंड में पहले तीन, बाद में चार बच्चे निकले
रज्जो की प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में जब सोनू उसे सिरसा के सिविल अस्पताल लेकर गए, तब डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड में तीन बच्चों की जानकारी दी। इस खबर से परिवार हैरान तो था लेकिन खुश भी। फिर उन्होंने निजी अस्पतालों में दोबारा जांच करवाई, जहां साफ हो गया कि गर्भ में तीन नहीं बल्कि चार बच्चे हैं। इसके बाद परिवार और ज्यादा सतर्क हो गया और रज्जो की देखभाल पहले से अधिक गंभीरता से की गई।
सास ने कहा- बच्चों की चिंता मत कर, हम संभाल लेंगे
रज्जो ने बताया कि जैसे ही चार बच्चों की जानकारी मिली, पूरा परिवार उनकी देखभाल में लग गया। खासतौर पर सास राज रानी ने साफ कहा कि रज्जो को केवल अपना ख्याल रखना है, बच्चों की चिंता करने की जरूरत नहीं। सोनू ने भी पत्नी का हर कदम पर साथ दिया, चाहे खाने की पसंद हो या मेडिकल देखभाल।
डॉक्टर्स के लिए भी बड़ी चुनौती रही डिलीवरी
14 मई को रज्जो को सिविल अस्पताल सिरसा में भर्ती करवाया गया। अस्पताल के गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. राहुल गर्ग ने बताया कि यह केस उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण और खास था। चूंकि चार बच्चों की डिलीवरी सामान्य नहीं होती और जोखिम अधिक होता है, इसलिए पूरा मेडिकल स्टाफ पहले से तैयारी में लगा हुआ था।
डिलीवरी के दौरान जब रज्जो की ब्लीडिंग नहीं रुकी, तो ओटी में घबराहट फैल गई। अस्पताल के बाहर भीड़ जुट गई थी। लेकिन थोड़ी देर बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई और ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ। डॉक्टरों ने जब परिवार को बताया कि मां और बच्चे सभी स्वस्थ हैं, तो सबकी आंखों से आंसू निकल आए।
20 दिन बाद सभी को अस्पताल से छुट्टी मिली
डिलीवरी के तीन दिन बाद रज्जो को तो अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, लेकिन चारों बच्चों को नर्सरी में निगरानी के लिए रखा गया। परिवार के कुछ सदस्य घर पर रज्जो की देखभाल कर रहे थे और कुछ अस्पताल में बच्चों की। कुछ दिनों बाद जब रज्जो को टांकों में दर्द हुआ तो उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती करवाया गया। आखिरकार 4 जून को सभी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
बच्चों की देखभाल में पूरा परिवार लगा है
अब पूरा परिवार बच्चों की देखभाल में जुटा हुआ है। कोई उन्हें सुला रहा है, कोई दूध पिला रहा है, तो कोई रोते हुए बच्चे को चुप करा रहा है। रज्जो आराम कर रही हैं और परिवार के सदस्य बच्चों के शेड्यूल के अनुसार दिन-रात काम में लगे हैं।
सोनू बताते हैं कि चारों बच्चों की एक्टिविटी, रोने का समय, और भूख लगने का समय अलग-अलग है, जिससे सबको चौकन्ना रहना पड़ता है। उन्होंने कहा, “इस समय गर्मी भी ज्यादा है, लेकिन हमारी जिम्मेदारी भी बड़ी है। पांच-छह लोग मिलकर बच्चों की देखभाल कर रहे हैं।”
डॉक्टर्स बोले-मल्टीपल प्रेग्नेंसी में हमेशा जोखिम ज्यादा होता है। आमतौर पर 40 हफ्ते में डिलीवरी होती है, लेकिन ऐसे मामलों में डिलीवरी 32 हफ्ते में हो जाती है। मां पर चार बच्चों का मानसिक और शारीरिक दबाव पड़ता है, जिससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। लेकिन सही समय पर मेडिकल हस्तक्षेप और परिवार का सहयोग इस केस को सफल बना गया।
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