हिंदी: पाश्चात्य साहित्यजगत में स्वच्छन्दतावाद को प्रायः आभिजात्यवाद के विरोधी चिन्तन के रूप में देखा जाता है। आभिजात्यवाद जहाँ साहित्य के लिए वस्तुपरक और नियमपरक दृष्टिकोण और अनुशासन को स्वीकार करता है,
वहीं स्वच्छन्दतावाद आत्म-- परक और स्वतंत्र चिन्तन का समर्थक है। ये दोनों प्रवृत्तियाँ पाश्चात्य साहित्य जगत् में ऊपर-नीचे होती रही हैं।
इस आत्मपरकता से युक्त स्वच्छन्द रोमानी दृष्टि का इतिहास भी बहुत पुराना है। अंग्रेजी आलोचना-साहित्य में 'रोमांटिसिज्म' शब्द का प्रयोग अठारहवीं सदी के अन्त में एक विशिष्ट प्रवृत्ति के लिए प्रचलित हुआ, जो कविता के क्षेत्र में व्यापक प्रभाव वाली सिद्ध हुई।
रोमांटिसिज्म यानी स्वच्छन्दतावाद का अर्थ
रोमान्टिसिज्म एक अमूर्त अवधारणा है, जिनमें अनेक प्रवृत्तियाँ समन्वित हैं। इसका सीधा अर्थ रोमांस से जुड़ा है जो स्वयं भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रकट होता है।
रोमांस शब्द का प्रयोग सामान्यतः भावुकतापूर्ण और कल्पनाप्रधान मानसिक स्थिति के लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें कुछ भी असम्भव नहीं है।
यही से इसका प्रयोग मध्यकाल की प्रेम तथा साहसिकता से परिपूर्ण कथाओं के लिए होने लगा। प्रेम तथा वीरता के उच्च आदर्शों पर आधारित तथा रहस्यमय अति मानवीय तत्त्वों का इसमें समावेश होता है। इसी पर आधारित कथाएँ ही रोमांस युक्त कहलाती हैं।
रोमांस एवम् रोमांटिक शब्द का प्रयोग आगे चलकर साहित्य की एक प्रवृत्ति के लिए निश्चित हो गया, जिसमें भावुकता, रमणीयता, सौन्दर्य के भाव हों और जे वस्तुवादी, शास्त्रवादी अनुशासन के विरुद्ध हो।
अठारहवीं सदी में फ्रान्स में उच्च वर्ग के शोषण और अन्याय के विरुद्ध जो जन-आन्दोलन उठ खड़े हुए थे, उनका सम्बन्ध भी रोमांस की भावना से ही बताया जाता है। इस प्रकार इस शब्द के अर्थ का विस्तार हो गया।
रोमांस के कुछ अन्य प्रासंगिक अर्थ भी हैं। जिन विचारकों ने इस प्रवृत्ति के विकास में पर्याप्त योग दिया, उनमें भी जीवन दृष्टि और शैली की दृष्टि से पर्याप्त अन्तर है।
यही कारण है कि रोमांस, रोमांटिसिज्म की परिभाषा करना अत्यन्त कठिन है। इसको परिभाषा करना सम्भव भी नहीं है। इस शब्द में इतनी अधिक प्रवृत्तियों का समावेश है कि आर्थर लवजॉय ने तो यहाँ तक कह दिया कि इस शब्द का प्रयोग एक वचन के स्थान पर बहुवचन में किया जाना चाहिए।
उन्होंने इसमें समाविष्ट प्रवृत्तियों के उनसठ प्रकार बताये हैं। अंग्रेजी साहित्य के इतिहासकार एमिल लेगुई तथा लुई कैजामियों ने एकदन बदले हुए मिजाज को इसकी सामान्य पहचान माना है और इसे "परम्परावादी कला के विरुद्ध नवोन्मेषकारी सौन्दर्य शास्त्रीय सिद्धान्त कहा है।" वे इस सिद्धान्त के शुरु मनोवैज्ञानिक दृष्टि से युक्त मानते हैं।
हिन्दी में रोमांटिसिज्म के लिए 'स्वच्छन्दतावाद' शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह शब्द मनोवृत्ति के एक पक्ष का ही प्रतिपादन करता है।
अब यह शब्द स्वच्छन्दतावाद रोमांटिसिज्म के सम्पूर्ण अर्थ में रूढ़ हो गया है। पश्चिमी सौन्दर्यशास्त्र में भी इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1669 ई. में फ्रांस में हुआ, जहाँ इसका प्रयोग कला-चिन्तन सन्दर्भ में हुआ है।
अंग्रेजी में यह शब्द सत्रहवीं सदी ईस्वी में आया किन्तु साहित्य में इसका अर्थ अस्पष्ट और अनिश्चित ही था। जर्मनी के श्लेगल ने इसको शास्ववादप आभिजात्यवाद के विरुद्ध प्रवृत्ति के रूप में परिभाषित किया।
इस अति प्रसिद्ध प्रवृत्ति का इससे सम्बद्ध महान् कवियों-वर्ड्सवर्थ, कॉलरिज आदि ने कहीं भी वर्णन नहीं किया।
إرسال تعليق