महारानी सती दादी गोशाला कुम्हारिया में संस्कृत सप्ताह के तहत श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित
कुम्हारिया (सिरसा), 10 अगस्त 2025। संस्कृत भाषा, भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आज गांव कुम्हारिया की महारानी सती दादी गोशाला में संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रीमद्भगवद् गीता के बारहवें अध्याय का सामूहिक पाठ हुआ और गीता के जीवन में महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई।
यह कार्यक्रम संस्कृत भारती संस्था के जनपद सहशिक्षण प्रमुख श्री सूर्य प्रकाश शास्त्री के निर्देशन में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में श्री रामतीर्थ शर्मा और उनके सहयोगी श्री बलराम शास्त्री ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रोच्चारण और देशभक्ति गीतों से
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री रामतीर्थ शर्मा के वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ, जिसके बाद बलराम शास्त्री ने अपने मधुर स्वर में देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए। इस माहौल ने उपस्थित लोगों को अध्यात्म और देशप्रेम की भावना से भर दिया।
कार्यक्रम में गोशाला प्रधान श्री पृथ्वीराज बैनीवाल, गो सेवक श्री प्रहलाद डारा, श्री जगदीश बैनीवाल, श्री राजेश बैनीवाल, श्री बिल्लु भगत, श्री संदीप, श्री सूरजभान, अमर सिंह बेरड़ सहित गांव के अनेक गणमान्य व्यक्ति, माताएं-बहनें और नन्हे-मुन्ने बच्चे मौजूद थे। कुल मिलाकर लगभग 50 लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
संस्कृत और संस्कृति पर प्रेरणादायी संदेश
मुख्य अतिथि श्री रामतीर्थ शर्मा ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति की आत्मा है और संस्कारों का आधार भी। उन्होंने बच्चों को माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करने तथा उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
श्री बलराम शास्त्री ने भी बच्चों को अच्छी संगति के महत्व के बारे में बताया और नशे व अन्य बुराइयों से दूर रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता और खुशहाली के लिए अच्छे विचार और सकारात्मक सोच जरूरी है।
संस्कृत शिक्षा के लाभ और अवसर
संस्कृत शिक्षक श्री सूर्य प्रकाश शास्त्री ने अपने संबोधन में बच्चों को संस्कृत पढ़ने के फायदे बताए। उन्होंने बताया कि कुम्हारिया गांव के दो लोग संस्कृत में उच्च शिक्षा लेकर आज संस्कृत शिक्षक के रूप में गांव और अपने परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी समझाया कि संस्कृत पढ़ने से न केवल संस्कृत शिक्षक, योगा शिक्षक या आयुर्वेद विशेषज्ञ बना जा सकता है, बल्कि वैज्ञानिक, आईएएस, आईपीएस, आर्मी और पुलिस अधिकारी जैसे पद भी हासिल किए जा सकते हैं।
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