हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में पेयजल संकट गहराया: इन गांवों के ग्रामीण टैंकरों से खरीद रहे खारा पानी



हरियाणा के ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के पैंतालिसा क्षेत्र में पेयजल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। राजस्थान की सीमा से सटे इस इलाके के 45 गांवों में लंबे समय से नहरबंदी के चलते जल घरों की डिग्गियां सूख चुकी हैं, जिससे घरों में पानी की सप्लाई पूरी तरह से ठप हो गई है। इस भयंकर गर्मी में ग्रामीणों को पीने के लिए भी पानी उपलब्ध नहीं है। मजबूरन उन्हें खारा पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है, जिसकी कीमत 700 से 800 रुपये प्रति टैंकर तक पहुंच गई है।




"हर घर नल" योजना बनी ढकोसला

ग्रामीणों ने सरकार की "हर घर नल, हर घर जल" योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि यह योजना केवल कागजों तक सीमित रह गई है। गांवों में नल तो लगे हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं आता। खेतों में काम कर के लौटने के बाद पीने के लिए भी पानी मयस्सर नहीं होता, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।



पानी की किल्लत से जूझते गांव

गुसाईआना, कुम्हारिया, हजीरा, जसानिया, कागदाना, गिगोरानी, राजपुरा साहनी, जोगीवाला, जमाल, बरासरी, ढूकड़ा, रायपुर, नाथूसरी चोपटा समेत अनेक गांवों में पिछले एक महीने से जल आपूर्ति पूरी तरह बंद है। पानी की कमी के कारण बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि टैंकर से मिलने वाला खारा पानी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है, लेकिन विकल्प नहीं होने के कारण यही पानी पीना मजबूरी बन गया है।



विधानसभा में गूंजा मुद्दा

ऐलनाबाद के विधायक भरत सिंह बैनीवाल ने पानी की इस गंभीर समस्या को विधानसभा सत्र में उठाया और सरकार से समाधान की मांग की। उन्होंने कहा कि हर साल गर्मियों में यही स्थिति पैदा होती है, लेकिन सरकार की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं किया जाता।



शेरांवाली नहर में पानी की उम्मीद

शेरांवाली नहर में एक मई को पानी छोड़े जाने की संभावना जताई जा रही है। जब तक नहर में पानी नहीं आता, तब तक कैंरावाली, दड़बा कलां, माधोसिंघाना, मोडिया जैसे गांवों को जल संकट से जूझना पड़ेगा। इन गांवों में करीब दो हफ्तों से पानी की सप्लाई बंद है।

पेयजल केंद्रों में स्टॉक की कमी

पैंतालिसा क्षेत्र के अधिकतर गांवों में पेयजल केंद्र बने हुए हैं, लेकिन वहां पानी के भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। लंबे समय तक नहरबंदी के कारण स्टॉक खत्म हो चुका है। जिन गांवों में ट्यूबवेल की व्यवस्था है, वहां खारा पानी सप्लाई किया जा रहा है, और जहां व्यवस्था नहीं है, वहां ग्रामीणों को टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

टेल पर बसे गांवों की स्थिति और खराब

चौपटा क्षेत्र के नहरों के टेल हिस्सों पर बसे गांवों जैसे खेड़ी, जमाल, वरूवाली, गुडियाखेड़ा, रायपुर, बरासरी आदि में पानी की स्थिति और भी भयावह है। इन क्षेत्रों तक नहरों का पानी नहीं पहुंच पाता, जिससे हर साल गर्मियों में वहां जल संकट उत्पन्न हो जाता है।




जल संकट से जूझते ग्रामीणों की व्यथा

ग्रामीणों का कहना है कि कटाई-कढ़ाई के मौसम में खेतों में काम के दौरान पानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। लेकिन वर्तमान में पीने के लिए भी पानी नहीं है। प्रहलाद सिंह, राजेश कुमार, विनोद कुमार सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, पानी की मांग भी बढ़ रही है लेकिन उपलब्धता शून्य है।

कुछ राहत की उम्मीद: वरूवाली नहर में छोड़ा गया पानी

हालांकि राहत की एक किरण के रूप में सिंचाई विभाग ने शनिवार को चौपटा क्षेत्र से गुजरने वाली वरूवाली नहर में पानी छोड़ दिया है। इससे माखोसरानी, लुदेसर, ढूकड़ा, गुडियाखेड़ा जैसे गांवों को कुछ लाभ मिलेगा। लेकिन जब तक पूरे क्षेत्र में पानी की सुचारु आपूर्ति शुरू नहीं होती, तब तक जल संकट बना रहेगा।

प्रशासन का दावा, जल्द होगी आपूर्ति शुरू

जन स्वास्थ्य विभाग के एसडीओ संदीप मेहता ने बताया कि नहरों में पानी छोड़ दिया गया है और जल्द ही जल घरों की डिग्गियों को भरकर पेयजल सप्लाई सुचारू कर दी जाएगी। लेकिन तब तक ग्रामीणों को इस भीषण जल संकट से गुजरना पड़ेगा।


1 تعليقات

  1. Anokha Suvidha Kendra26 أبريل 2025 في 3:11 م

    इसमें सरकार के साथ साथ आम नागरिकों को भी अपना साथ देना होगा
    क्युकी आजकल आम घरेलू कार्यों में पानी का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है जिसमे हम पानी का प्रयोग तो कम नही कर सकते है लेकिन पानी के प्रयोग को दो भागों में बांट सकते है जिसमे पीने नहाने कपड़े धोने में मीठे पानी के प्रयोग और पशुओं को नहलाने गाड़ी धोने फर्श धोने में खरे पानी को काम में ले सकते है
    सरकार जलघरों में पानी स्टॉक करने के टैंको की संख्या बढ़ाए और गांव में नई पाइप लाइन डलवाए ताकि पुरानी पाइप लाइन में ज्यादातर को लीकेज की समस्या रहती है वो खत्म हो जाए
    सभी ग्राम पंचायत अपन निजी स्तर पर गांव में जो पंचायत की भूमि होती है खेती के लिए उसमे पंचायत के बजट से एक या दो बड़े सार्वजनिक टैंक बनाए ताकि जरूरत में इनको काम में लिया जा सके
    यहां हमने एक आम नागरिक के हिसाब से कुछ सुझाव रखे है उम्मीद है सभी को पसंद आएंगे
    @Anokha Suvidha Kendra

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