हिन्दी: आधुनिक युग में औद्योगिक क्रांति और वैज्ञानिक विकास ने कला और साहित्य को भी अत्यन्त गहराई तक प्रभावित किया है।
मनोविज्ञान के क्षेत्र में फ्रायड, एडलर औ जुंग ने काव्य और कला को प्रभावित किया तो सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में में मार्क्सवाद की विचारधारा का प्रभाव स्पष्टतः दिखाई देता है।
फ्रान्स के ज्यॉपाल सार्च की अस्तित्ववादी विचारधारा ने भी प्रभाव डाला तो दूसरी ओर क्रोचे के अभिव्यंजनावाद ने भी विश्व को साहित्य-समीक्षा को प्रभावित किया।
आधुनिक विश्व में समाजवादी विचारधारा ने बहुत बड़े जनमत को प्रभावित किया है तो दूसरी ओर इंगलैंड फ्रान्स, इटली में कलावादी विचारधारा ने प्रभाव डाला है।
इनके मध्य में मनोवैज्ञानिक साहित्य-चिन्तन ने भी अपना अस्तित्त्व प्रकट किया है। इस प्रकार आधुनिक युग में अनेक साहित्य-चिन्तन को धाराएँ प्रवाहित हुई हैं जिनमें मार्क्सवादी विचारधारा की समीक्षा-पद्धति अपना विशेष महत्त्व रखती है।
मार्क्सवादी-साहित्य-चिन्तन
इसमें बाह्य पदार्थों के विविध व्यापारों तथा आन्तरिक विचारधारा के अन्तः सम्बन्धों का विशद और सूक्ष्म विवेचन है। ऐतिहासिक भौतिकवाद मानव के आदिम जोवन से लेकर आज तक चलती आई इस विकास प्रक्रिया को प्रमाणित करता है।
मनुष्य समाज आर्थिक और उत्पादन के साधनों के लिए प्रयत्न करता रहता है। इसौ के आधार पर श्रम का सिद्धान्त निश्चित किया गया है। इन्हीं तत्त्वों के आधार पर कला और साहित्य का सृजन होता है।
कला और साहित्य के द्वारा श्रम भी सुहाना और मधुर हो जाता है। उत्पादन में प्राप्त सफलता के बाद मनुष्य आगे के विकास की कल्पना करता है।
इस प्रकार माक्संवाद साहित्य और कला के सम्बन्ध में एक भौतिक वस्तुवादी एवम् सामाजिक दृष्टिकोण को लेकर सामने आया है। इस धारा के प्रमुख चिन्तकों के विचारों को यहाँ संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
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