कपास फसल पर संयुक्त सर्वेक्षण: कीट प्रबंधन के यांत्रिक व जैविक उपायों की जानकारी दी
सिरसा— भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन क्षेत्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केंद्र (Regional Central Integrated Pest Management Centre - RCIPMC) फरीदाबाद और हरियाणा राज्य सरकार के जिला कृषि विभाग सिरसा के अधिकारियों द्वारा कपास की फसल का संयुक्त रूप से व्यापक सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल में लगने वाले कीटों एवं रोगों से निपटने के लिए यांत्रिक और जैविक कीटनाशक (बायो-पेस्टीसाइड्स) उपायों की जानकारी देना था।
यह सर्वेक्षण RCIPMC फरीदाबाद की क्षेत्रीय प्रमुख एवं उपनिदेशक डॉ. वंदना पांडेय के निर्देशन में और जिला कृषि विभाग के डॉ. शैलेन्द्र सहारण के सहयोग से किया गया। जिले के विभिन्न गांवों और खेतों का दौरा कर अधिकारियों ने कपास की फसल की स्थिति की समीक्षा की और मौके पर ही किसानों को उचित मार्गदर्शन दिया।
फसल के शुरुआती दौर में फेरोमोन ट्रैप और ल्यूअर का प्रयोग आवश्यक
सर्वेक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी कि फसल की शुरुआत में ही फेरोमोन ट्रैप और कपास के लिए विशेष ल्यूअर (lure) का उपयोग करें। इन ट्रैप्स के माध्यम से कीटों की उपस्थिति की निगरानी की जा सकती है जिससे समय रहते नियंत्रण उपाय किए जा सकें। यह तकनीक रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में अधिक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है।
राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) मोबाइल ऐप की जानकारी
टीम ने किसानों को राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) मोबाइल ऐप के उपयोग की भी जानकारी दी। इस ऐप के माध्यम से किसान अपनी फसल में लगने वाले कीट और रोगों की पहचान कर सकते हैं, और विशेषज्ञों से तुरंत सलाह प्राप्त कर सकते हैं। इससे अनावश्यक रासायनिक पेस्टीसाइड का उपयोग रोका जा सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता सुरक्षित बनी रहती है और मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित नहीं होती।
टीम में वरिष्ठ वैज्ञानिक और विशेषज्ञ शामिल रहे
इस संयुक्त सर्वेक्षण दल में भारत सरकार के RCIPMC फरीदाबाद से सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी श्री लक्ष्मीकांत, श्री के. पी. शर्मा और श्री सूरज बरनवाल शामिल रहे। इनके साथ हरियाणा राज्य के जिला कृषि विभाग सिरसा से डॉ. शैलेन्द्र सहारण व अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। सर्वेक्षण में किसानों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और विशेषज्ञों से अपनी समस्याओं पर मार्गदर्शन प्राप्त किया।
किसानों ने की पहल की सराहना
कई किसानों ने इस जागरूकता अभियान की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की जानकारी उन्हें समय पर मिलना बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। किसानों ने विशेष रूप से NPSS ऐप को उपयोगी बताया, जिससे वे सीधे विशेषज्ञों से जुड़ सकते हैं और बिना देर किए समाधान पा सकते हैं।
निष्कर्ष
यह संयुक्त सर्वेक्षण और प्रशिक्षण अभियान किसानों को आधुनिक, टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदनशील कृषि पद्धतियों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कीट प्रबंधन के पारंपरिक रासायनिक तरीकों की जगह जैविक और यांत्रिक उपायों को बढ़ावा देने से न केवल फसल का उत्पादन बेहतर होगा, बल्कि दीर्घकालिक रूप से कृषि भूमि और स्वास्थ्य भी संरक्षित रहेंगे। सरकार द्वारा ऐसे कार्यक्रमों की नियमितता भविष्य में किसानों के हित में अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो
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